वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं। इसमें 48 वर्ण होते हैं और 11 स्वर होते हैं। व्यंजनों की संख्या 33 होती है जबकि कुल व्यंजन 35 होते हैं। दो उच्छिप्त व्यंजन एवं दो अयोगवाह होते हैं।
वर्णमाला के भेद
वर्णमाला को मुख्य रूप से दो भागो में बाँटा गया है :
(1) स्वर (Swar)
(2) व्यंजन (Vyanjan)
स्वर (Vowels)
स्वर तीन प्रकार के होते हैं।
(i) ह्स्व स्वर (लघु स्वर)
(ii) दीर्घ स्वर
(iii) प्लुत स्वर
(i)
ह्स्व स्वर - लघु स्वर
ऐसे स्वर जिनको बोलने में कम समय लगता है उनको ह्स्व स्वर (Hsv Swar) कहते हैं। इनकी संख्या 4 होती हैं।
अ, इ, उ, ऋ
(ii)
दीर्घ स्वर
ऐसे स्वर जिनको बोलने में अधिक समय लगता है उनको दीर्घ स्वर (Dirgh Swar) कहते हैं। इनकी संख्या 7 होती है।
आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
(iii)
प्लुत स्वर
अयोगवाह (Ayogvah)
यह दो होते हैं।
अं, अः
अं को अनुस्वार कहते हैं
अ: को विसर्ग कहते हैं
व्यंजन (Consonants)
जिन वर्णों का उच्चारण स्वर की सहायता से होता है उन्हें व्यंजन कहते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं।
(i) स्पर्श व्यंजन
(ii) अन्तस्थ व्यंजन
(iii) उष्म व्यंजन
(i)
स्पर्श व्यंजन (Sparsh Vyanjan)
क से लेकर म तक होते हैं। इनकी संख्या 25 होती हैं। प्रत्येक वर्ग में पांच अक्षर होते हैं।
क वर्ग : क ख ग घ ङ
च वर्ग : च छ ज झ ञ
ट वर्ग : ट ठ ड ढ ण
त वर्ग : त थ द ध न
प वर्ग : प फ ब भ म
(ii)
अन्तस्थ व्यंजन (Antasth Vyanjan)
इनकी संख्या 4 होती है।
य, र, ल, व
(iii)
उष्म व्यंजन (Ushm Vyanjan)
इनकी संख्या भी 4 होती है।
श, ष, स, ह
उच्छिप्त व्यंजन (Uchchhipt Vyanjan)
यह दो होते हैं
ढ़, ड़
इनको द्विगुण व्यंजन (Dwigun Vyanjan) भी कहा जाता है।
अल्पप्राण व्यंजन एवं महाप्राण व्यंजन
उच्चारण के अनुसार व्यंजनों को दो भागों में बांटा गया हैं। Alppran and Mahapran.
(i) अल्पप्राण व्यंजन
(ii) महाप्राण व्यंजन
(i)
अल्पप्राण व्यंजन
ऐसे व्यंजन जिनको बोलने में कम समय लगता है और बोलते समय मुख से कम वायु निकलती है उन्हें अल्पप्राण व्यंजन (Alppran) कहते हैं। इनकी संख्या 20 होती है।
क ग ङ
च ज ञ
ट ड ण ड़
त द न
प ब म
य र ल व
इसमें
क वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर
च वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर
ट वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर
त वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर
प वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर
चारों अन्तस्थ व्यंजन - य र ल व
एक उच्छिप्त व्यंजन - ङ
Hint : वर्ग का 1,3,5 अक्षर - अन्तस्थ - द्विगुण या उच्छिप्त
(ii)
महाप्राण व्यंजन
ऐसे व्यंजन जिनको बोलने में अधिक प्रत्यन करना पड़ता है और बोलते समय मुख से अधिक वायु निकलती है। उन्हें महाप्राण व्यंजन (Mahapran) कहते हैं। इनकी संख्या 15 होती है।
ख घ
छ झ
ठ ढ
थ ध
फ भ
ढ़
श ष स ह
इसमें
क वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर
च वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर
ट वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर
त वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर
प वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर
चारों उष्म व्यंजन - श ष स ह
एक उच्छिप्त व्यंजन - ढ़
Hint : वर्ग का 2, 4 अक्षर - उष्म व्यंजन - एक उच्छिप्त व्यंजन
स्वर = 11
कुल स्वर =13
व्यंजन = 33
कुल व्यंजन = 35
वर्ण = 48
कुल वर्ण = 52
वर्णों का उच्चारण स्थान (Varno ke Uchcharan Sthan)
क्रमांक | उच्चारण स्थान | स्वर | स्पर्श व्यंजन | अन्तस्थ व्यंजन | उतम व्यंजन |
1 | कंठ | अ,आ | क,ख,ग,घ,ङ | - | ह |
2 | तल्व्य | इ,ई | च,छ,ज,झ,ञ | य | श |
3 | मूर्धन्य | ऋ | ट,थ,ड,ढ,ण | र | ष |
4 | दन्त | - | त,थ,द,ध,न | ल | स |
5 | ओष्ट | उ,ऊ | प,फ,ब,भ,म | - | - |
6 | नासिक | - | अं अः | - | - |
7 | दन्तोष्ठ | - | - | व | - |
8 | कंठतल्व्य | ए,ऐ | - | - | - |
9 | कंठओष्ठ | ओ,औ | - | - | - |
संयुक्त व्यंजन
क्ष - क् + ष्
त्र - त् + र्
ज्ञ - ज् + ञ्
श्र - श् + र्
कम्पन के आधार पर हिंदी वर्णमाला के दो भेद होते हैं। Ghosh and Aghosh.
(i) अघोष व्यंजन
(ii) सघोष व्यंजन
(i)
अघोष व्यंजन
इनकी संख्या 13 होती है
क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ, श, ष, स
(ii)
सघोष व्यंजन
इनकी संख्या 31 होती है
इसमें सभी स्वर अ से ओ तक और
ग, घ, ङ
ज, झ, ञ
ड, ढ, ण
द, ध, न
ब, भ, म
य, र, ल, व, ह
Varnamala in Hindi
What is definition / paribhasha of Varnamala (Alphabets) in hindi grammar? वर्णमाला Kya Hai and Varnamala ke prakar / bhed with some examples. Types of Varnamala: Swar, Vyanjan, Uchchhipt Vyanjan, Ayogvah. Types of Swar are Hsv (Laghu), Dirgh, Plyut. Types of Vyanjan are Sparsh, Antasth, Ushm, Sanyukt. Alppran and Mahapran Vyanjan are also described here.